News : उत्तराखंड चारधाम तीर्थ पुरोहित महापंचायत ने उत्तर प्रदेश के सैफई, इटावा में केदारनाथ मंदिर की प्रतिकृति और उसके नाम पर बने मंदिर के निर्माण पर गहरा रोष व्यक्त किया है।
महापंचायत का आरोप है कि उत्तराखंड सरकार द्वारा ऐसे कृत्यों के खिलाफ सख्त कानून बनाए जाने के बावजूद, इटावा में मंदिर बनकर तैयार हो गया है और अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई है, जिससे सरकार की मंशा और कानून के क्रियान्वयन पर सवाल उठ रहे हैं।
News : कानून होने के बावजूद कार्रवाई का अभाव
महापंचायत के महासचिव बृजेश सती ने इस मुद्दे पर अपनी चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि उत्तराखंड सरकार ने चार धामों के नाम का उपयोग, इन मंदिरों की प्रतिकृति बनाने और इनके नाम पर ट्रस्ट बनाने को रोकने के लिए एक स्पष्ट प्रस्ताव पारित किया था।
इस प्रस्ताव में यह साफ तौर पर कहा गया था कि ऐसा करने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। सती ने बताया, “एक साल से अधिक का समय बीत चुका है, लेकिन धरातल पर इस कानून का कोई असर नहीं दिख रहा है।
इटावा में मंदिर बनकर तैयार भी हो गया है, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई।” यह स्थिति चारधाम से जुड़े धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व को बनाए रखने के सरकार के दावों पर प्रश्नचिह्न लगाती है।
News : देशभर में बढ़ रही है प्रतिकृतियों की संख्या
यह कोई इकलौता मामला नहीं है। बृजेश सती ने बताया कि पहले दिल्ली में, फिर तेलंगाना में और अब उत्तर प्रदेश के सैफई में केदारनाथ धाम की तरह मंदिर बना दिए गए हैं। इन सभी मामलों में आरोप है कि सरकार की ओर से कोई भी कार्रवाई नहीं की गई है।
विशेष रूप से, सैफई में बने मंदिर के गर्भगृह में स्थापित लिंग का आकार भी केदारनाथ धाम के मूल लिंग की तरह बनाया गया है, जिससे पुरोहित समुदाय में और भी अधिक आक्रोश है। यह न केवल धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाता है, बल्कि उत्तराखंड के चार धामों की विशिष्ट पहचान और पवित्रता को भी कमजोर करता है।
News : लगातार उठाई जा रही है आवाज
उत्तराखंड चारधाम तीर्थ पुरोहित महापंचायत ने इस मामले को लगातार सरकार, शासन और बदरीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति के संज्ञान में लाया है। इसके बावजूद, कोई ठोस कदम नहीं उठाए जाने से पुरोहित समुदाय में निराशा है। अपनी मांग को मजबूती से रखने के लिए, गुरुवार को सभी धामों में विरोध प्रदर्शन किया गया।
इस विरोध प्रदर्शन का उद्देश्य सरकार पर दबाव बनाना है ताकि वह अपने ही बनाए कानूनों का सम्मान करे और चार धामों की धार्मिक गरिमा को बनाए रखने के लिए आवश्यक कार्रवाई करे।
News : धार्मिक महत्व और कानून की आवश्यकता
चारधाम यात्रा उत्तराखंड की पहचान और भारत की आध्यात्मिक विरासत का एक अभिन्न अंग है। बदरीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री, ये चारों धाम लाखों श्रद्धालुओं के लिए आस्था का केंद्र हैं।
इन पवित्र स्थलों की प्रतिकृतियों का अनियंत्रित निर्माण न केवल धार्मिक भावनाओं को आहत करता है, बल्कि इन धामों से जुड़े आर्थिक और सामाजिक ताने-बाने पर भी नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है।
उत्तराखंड सरकार ने इस संवेदनशील मुद्दे की गंभीरता को समझते हुए ही कानून बनाया था, लेकिन उसका क्रियान्वयन सुनिश्चित करना अब एक बड़ी चुनौती बन गया है।
पुरोहित महापंचायत ने सरकार से अपील की है कि वह इस मामले को गंभीरता से ले और जल्द से जल्द सैफई, इटावा और अन्य स्थानों पर बनी ऐसी प्रतिकृतियों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करे।
महापंचायत ने यह भी चेतावनी दी है कि यदि सरकार इस दिशा में कोई ठोस कदम नहीं उठाती है, तो वे अपने विरोध को और तेज करने के लिए बाध्य होंगे। यह देखना होगा कि उत्तराखंड सरकार इस चुनौती का सामना कैसे करती है और क्या वह अपने बनाए कानूनों का सम्मान करते हुए चार धामों की पवित्रता को अक्षुण्ण रख पाती है।