UP : मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के ‘जीरो टॉलरेंस’ नीति के अनुपालन में, श्रावस्ती जिला प्रशासन ने सीमावर्ती क्षेत्रों में अवैध धार्मिक निर्माणों के खिलाफ एक बड़ी कार्रवाई की है।
भिनगा-सिरसिया मार्ग पर नगर पालिका परिषद की आरक्षित भूमि पर अवैध रूप से बनी एक मजार को बुलडोजर से ढहाकर लगभग करोड़ों रुपये मूल्य की शासकीय संपत्ति को अतिक्रमण मुक्त करा लिया गया है।
यह कार्रवाई प्रशासन, नगर पालिका और राजस्व विभाग के संयुक्त अभियान के तहत की गई, जो सरकारी भूमि पर अवैध कब्जों के खिलाफ सरकार के सख्त रुख को दर्शाती है।
UP : आरक्षित भूमि पर दशकों से था अवैध कब्जा
यह घटना श्रावस्ती जिले के भिनगा नगर पालिका परिषद के अंतर्गत खंड गाटा संख्या-121, रकबा 0.1420 हेक्टेयर भूमि से संबंधित है।
यह भूमि मूल रूप से नगर पालिका द्वारा इमारती लकड़ी के भंडारण के लिए आरक्षित की गई थी, लेकिन दशकों से इस पर कुछ व्यक्तियों द्वारा अवैध रूप से कब्जा कर एक मजार का निर्माण कर लिया गया था।
स्थानीय सूत्रों के अनुसार, यह मजार काफी समय से यहां मौजूद थी और समय-समय पर इसके विस्तार की कोशिशें भी की जा रही थीं, जिससे सरकारी भूमि का दुरुपयोग हो रहा था।
UP : प्रशासन की ‘जीरो टॉलरेंस’ नीति का असर
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रदेशभर में सरकारी और सार्वजनिक भूमि पर अवैध कब्जों तथा विशेषकर सीमावर्ती जिलों में अवैध धार्मिक निर्माणों के खिलाफ सख्त कार्रवाई के निर्देश दिए हैं। इन निर्देशों के क्रम में श्रावस्ती प्रशासन को लंबे समय से इस अवैध कब्जे की सूचना मिल रही थी।
प्रशासन ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए तत्काल और निर्णायक कार्रवाई करने का निर्णय लिया। यह कार्रवाई न केवल अवैध कब्जेदारों को एक कड़ा संदेश है, बल्कि यह भी दिखाती है कि सरकार अपनी अतिक्रमण विरोधी नीति पर कितनी दृढ़ है।
UP : सुनियोजित अभियान के तहत हुई कार्रवाई
जिलाधिकारी अजय कुमार द्विवेदी के नेतृत्व में नगर पालिका परिषद, राजस्व विभाग और पुलिस बल के अधिकारियों की एक संयुक्त टीम का गठन किया गया। कार्रवाई से पहले, टीम ने विधिवत रूप से भूमि का सीमांकन किया और अवैध कब्जे की पहचान की।
संबंधित पक्षों को अग्रिम सूचना दी गई, ताकि वे स्वेच्छा से अतिक्रमण हटा लें या आवश्यक कानूनी प्रक्रिया का पालन करें। जब निर्धारित समय सीमा के भीतर अतिक्रमण नहीं हटाया गया, तो मंगलवार को पूरे प्रशासनिक अमले ने मौके पर पहुंचकर बुलडोजर से अवैध मजार सहित सभी निर्माणों को ध्वस्त कर दिया।
UP : भारी पुलिस बल की मौजूदगी में अभियान
अवैध निर्माणों को ध्वस्त करने के दौरान किसी भी अप्रिय स्थिति से निपटने के लिए मौके पर भारी संख्या में पुलिस बल तैनात किया गया था। पुलिस और प्रशासन की चाक-चौबंद व्यवस्था के कारण यह पूरा अभियान शांतिपूर्ण ढंग से संपन्न हुआ।
किसी भी प्रकार के विरोध या व्यवधान की कोई खबर नहीं है, जो प्रशासन की सटीक योजना और प्रभावी प्रबंधन को दर्शाता है। मजार के साथ-साथ अन्य छोटे-मोटे अवैध निर्माणों को भी हटा दिया गया और भूमि को पूर्ण रूप से कब्जा मुक्त घोषित कर दिया गया।
UP : सरकारी भूमि पर अतिक्रमण बर्दाश्त नहीं
कार्रवाई के बाद, जिलाधिकारी अजय कुमार द्विवेदी ने मीडिया को बताया कि यह कार्रवाई विधि सम्मत प्रक्रिया के तहत की गई है। उन्होंने स्पष्ट किया कि नगर पालिका की आरक्षित भूमि पर किए गए अवैध निर्माण को हटाना कानून व्यवस्था बनाए रखने और सार्वजनिक हित की रक्षा के लिए आवश्यक था।
जिलाधिकारी ने यह भी दोहराया कि भविष्य में किसी को भी सरकारी भूमि पर अवैध कब्जा करने की अनुमति नहीं दी जाएगी और ऐसे सभी अतिक्रमणों के खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
UP : दूरगामी परिणाम और भविष्य की चुनौतियां
श्रावस्ती में हुई यह कार्रवाई सरकारी भूमि पर बढ़ते अतिक्रमण की समस्या को उजागर करती है, विशेषकर सीमावर्ती जिलों में जहां धार्मिक स्थलों के नाम पर कब्जे की प्रवृत्ति देखी जाती है।
मुख्यमंत्री के निर्देश के बाद, अन्य जिलों में भी ऐसे अवैध निर्माणों पर कार्रवाई की उम्मीद है। यह अभियान न केवल अतिक्रमित भूमि को मुक्त कराएगा, बल्कि कानून के शासन को मजबूत करेगा और यह सुनिश्चित करेगा कि सार्वजनिक संसाधनों का उपयोग जनहित में हो।
इस कार्रवाई से एक महत्वपूर्ण संदेश यह भी गया है कि कानून सभी के लिए समान है, और किसी भी धार्मिक या सामाजिक ढांचे का उपयोग अवैध गतिविधियों या सरकारी भूमि पर कब्जा करने के लिए नहीं किया जा सकता है। यह कार्रवाई उन लोगों के लिए एक चेतावनी है जो सोचते हैं कि वे दशकों से चले आ रहे अतिक्रमणों को वैध बना सकते हैं।
सरकार का यह दृढ़ निश्चय निश्चित रूप से प्रदेश में अवैध कब्जों की प्रवृत्ति को रोकने में सहायक होगा और सुशासन की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित होगा। यह देखना बाकी है कि इस तरह की कार्रवाई से अन्य जिलों में भी सरकारी भूमि पर अतिक्रमण कितना कम होता है और प्रशासन इन चुनौतियों से कैसे निपटता है।