News : उत्तराखंड सरकार ने 16वें वित्त आयोग के समक्ष राज्य को “ग्रीन बोनस” दिए जाने की पुरजोर मांग उठाई है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के नेतृत्व में राज्य सरकार ने यह दलील दी है कि उत्तराखंड का विशाल वन क्षेत्र और पर्यावरण संरक्षण में योगदान देश भर के लिए लाभकारी है, ऐसे में इस योगदान के बदले राज्य को वित्तीय सहायता मिलनी चाहिए।
उत्तराखंड की भौगोलिक संरचना के चलते यहां की लगभग 71 प्रतिशत भूमि वन क्षेत्र से आच्छादित है। ये वन न केवल राज्य के लिए बल्कि समूचे देश के लिए जलवायु संतुलन बनाए रखने में मददगार हैं। हिमालयी पारिस्थितिकी तंत्र, जलस्रोतों की उपलब्धता और जैव विविधता की दृष्टि से यह क्षेत्र अत्यंत संवेदनशील है।
राज्य सरकार का कहना है कि राष्ट्रीय स्तर पर पर्यावरण संतुलन बनाए रखने में उत्तराखंड की भूमिका हमेशा से अहम रही है, इसलिए इस योगदान को आर्थिक रूप से मान्यता देना जरूरी है।
News : धामी सरकार की प्रमुख मांगें
मुख्यमंत्री धामी ने आयोग के समक्ष निम्नलिखित मुख्य बिंदु रखे:
ग्रीन बोनस: पर्यावरणीय संरक्षण में राज्य की भूमिका को देखते हुए विशेष वित्तीय सहायता दी जाए।
विशेष राज्य का दर्जा: कठिन भौगोलिक स्थिति और सीमित संसाधनों को ध्यान में रखते हुए उत्तराखंड को विशेष राज्य का दर्जा मिले।
आपदा प्रबंधन फंड में बढ़ोतरी: राज्य में बार-बार आने वाली प्राकृतिक आपदाओं से निपटने के लिए केंद्र से अतिरिक्त सहायता की जरूरत है।
बुनियादी ढांचे के विकास के लिए विशेष पैकेज: पर्वतीय क्षेत्रों में सड़क, स्वास्थ्य और शिक्षा सुविधाओं के विस्तार के लिए अतिरिक्त वित्तीय सहायता मांगी गई।
आयोग के अध्यक्ष और सदस्यों ने राज्य की दलीलों को गंभीरता से सुना और कहा कि वे राज्य की विशिष्ट परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए सुझाव तैयार करेंगे। आयोग ने यह भी माना कि उत्तराखंड की भौगोलिक कठिनाइयाँ और पर्यावरणीय प्रतिबद्धताएं अन्य राज्यों से अलग हैं और इन्हें नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।
News : पलायन की समस्या भी प्रमुख मुद्दा
राज्य सरकार ने आयोग को यह भी अवगत कराया कि उत्तराखंड के पर्वतीय इलाकों से लगातार पलायन हो रहा है। बुनियादी सुविधाओं की कमी और रोजगार के अवसरों की अनुपलब्धता के कारण ग्रामीण आबादी मैदानी इलाकों में जा रही है। सरकार ने आयोग से ऐसी योजनाओं के लिए सहायता मांगी जो स्थानीय स्तर पर विकास और रोजगार सुनिश्चित कर सकें।
उत्तराखंड सरकार की ‘ग्रीन बोनस’ की मांग केवल आर्थिक सहायता का प्रश्न नहीं, बल्कि यह पर्यावरणीय न्याय और संतुलित विकास का मामला है। अगर केंद्र सरकार और वित्त आयोग इस दिशा में सकारात्मक निर्णय लेते हैं, तो न केवल उत्तराखंड को लाभ होगा, बल्कि पूरे देश के लिए पर्यावरणीय संरक्षण की दिशा में यह एक मजबूत कदम साबित होगा।