Kargil Vijay Diwas 2025: क्या था ऑपरेशन सफेद सागर? जब भारतीय वायुसेना ने दुश्मनों को धूल चटाई!

Kargil Vijay Diwas 2025 : आज का दिन भारत के इतिहास में कारगिल विजय दिवस के रूप में स्वर्णिम अक्षरों में अंकित है। हर साल 26 जुलाई को हम उन वीर सपूतों को याद करते हैं जिन्होंने 1999 के कारगिल युद्ध में अदम्य साहस का परिचय देते हुए देश की आन-बान-शान की रक्षा की।

इस साल, जब हम कारगिल विजय दिवस मना रहे हैं, तो हमें उस महत्वपूर्ण हवाई अभियान को भी याद करना चाहिए जिसने युद्ध का रुख मोड़ने में निर्णायक भूमिका निभाई: ऑपरेशन सफेद सागर। यह वह ऑपरेशन था जब भारतीय वायुसेना ने आसमान से दुश्मनों पर ऐसा कहर बरपाया कि उन्हें अपनी जान बचाकर भागना पड़ा।

Kargil Vijay Diwas 2025 : ऑपरेशन सफेद सागर: एक हवाई गाथा

साल 1999 में, पाकिस्तान समर्थित घुसपैठियों ने कारगिल सेक्टर की रणनीतिक चोटियों पर कब्जा कर लिया था, जिससे भारत की संप्रभुता को गंभीर खतरा पैदा हो गया। भारतीय सेना ने जमीन पर ऑपरेशन विजय शुरू किया, लेकिन इस दुर्गम इलाके में घुसपैठियों को खदेड़ना एक चुनौती थी।

यहीं पर भारतीय वायुसेना की भूमिका महत्वपूर्ण हो गई। 25 मई 1999 को, भारतीय वायुसेना ने ऑपरेशन सफेद सागर लॉन्च किया, जो सीमित युद्ध में हवाई शक्ति के उपयोग का एक अभूतपूर्व उदाहरण था। इस ऑपरेशन का मुख्य उद्देश्य भारतीय सेना को जमीनी स्तर पर समर्थन देना और घुसपैठियों की आपूर्ति लाइनों को बाधित करना था, ताकि वे अपनी स्थिति मजबूत न कर सकें।

Kargil Vijay Diwas 2025 : किन विमानों ने लिया था भाग?

ऑपरेशन सफेद सागर में भारतीय वायुसेना ने अपनी सबसे उन्नत और शक्तिशाली संपत्तियों का इस्तेमाल किया। इस मिशन में मिराज 2000, मिग-21, मिग-29, मिग-27, जगुआर जैसे लड़ाकू विमानों के साथ-साथ एमआई-17 हेलीकॉप्टर ने भी हिस्सा लिया। मिराज 2000 ने विशेष रूप से उच्च ऊंचाई पर सटीक बमबारी करने की अपनी क्षमता के साथ अपनी उपयोगिता साबित की।

इन विमानों ने दुश्मन के बंकरों, हथियार डिपो और ठिकानों को भारी नुकसान पहुंचाया, जिससे उनके मनोबल पर गहरा असर पड़ा। यह पहली बार था जब भारतीय वायुसेना ने इतने बड़े पैमाने पर और इतनी ऊंचाई पर वायु शक्ति का उपयोग किया था।

Kargil Vijay Diwas 2025 : 16,000 फीट की ऊंचाई पर अदभुत शौर्य

ऑपरेशन सफेद सागर के मिशन समुद्र तल से 16,000 फीट से भी अधिक की ऊंचाई पर किए गए। ये ऐसी दुर्गम चोटियां थीं जहां चट्टानी और बर्फीली परिस्थितियां थीं, और रनवे जैसी समतल जमीन का कोई निशान नहीं था। इन चुनौतियों के बावजूद, भारतीय वायुसेना के पायलटों ने अद्वितीय कौशल और सटीकता का प्रदर्शन किया।

उन्होंने अत्यधिक ऊंचाई पर, तीव्र हवाओं और दुश्मन की गोलाबारी के बीच भी अपने लक्ष्यों पर सफलतापूर्वक हमला किया। इस हवाई अभियान ने युद्ध का रुख पूरी तरह से भारत के पक्ष में मोड़ दिया। इसने यह साबित कर दिया कि सीमित युद्ध में भी, अंतरराष्ट्रीय सीमा को पार किए बिना हवाई शक्ति निर्णायक साबित हो सकती है।

Kargil Vijay Diwas 2025 : युद्ध का परिणाम और प्रभाव

ऑपरेशन सफेद सागर ने भारतीय सेना को जमीन पर आगे बढ़ने के लिए महत्वपूर्ण सहायता प्रदान की। भारतीय वायुसेना द्वारा दुश्मन की आपूर्ति लाइनों को बाधित करने से पाकिस्तानी सैनिकों को पीछे हटने के लिए मजबूर होना पड़ा।

अनुमान है कि इस ऑपरेशन के दौरान 500 से अधिक घुसपैठिए मारे गए, जबकि अन्य अपनी जान बचाकर भागने को मजबूर हुए। इस ऑपरेशन की सफलता ने भारतीय सेना के लिए कारगिल की चोटियों पर दोबारा कब्जा करना आसान बना दिया।

Kargil Vijay Diwas 2025 : ‘सफेद सागर’ नाम क्यों पड़ा?

ऑपरेशन को “सफेद सागर” नाम देने के पीछे एक प्रतीकात्मक कारण था। कारगिल की ऊंची चोटियां आमतौर पर बर्फ से ढकी रहती हैं। जब भारतीय वायुसेना के विमानों ने इन बर्फीली चोटियों पर बमबारी की, तो सफेद बर्फ से उठता धुंआ और विस्फोट ऐसा लग रहा था जैसे बर्फीले समुद्र में तूफान आ गया हो।

इसी दृश्य को देखते हुए इस महत्वपूर्ण मिशन का नाम ‘ऑपरेशन सफेद सागर’ रखा गया, जो भारतीय वायुसेना की शक्ति और सटीकता का प्रतीक बन गया।

Kargil Vijay Diwas 2025 : एक स्वर्णिम अध्याय

26 जुलाई 1999 को, भारत ने आधिकारिक तौर पर कारगिल में अपनी जीत की घोषणा की। यह अभियान भारतीय इतिहास का एक स्वर्णिम अध्याय बन गया।

कारगिल विजय दिवस हमें न केवल उन सैनिकों के बलिदान की याद दिलाता है जिन्होंने अपनी जान न्यौछावर कर दी, बल्कि यह भारतीय सेना और वायुसेना के अटूट संकल्प और असाधारण क्षमताओं का भी स्मरण कराता है। ऑपरेशन सफेद सागर भारतीय सैन्य इतिहास में हवाई युद्ध के एक महत्वपूर्ण मील के पत्थर के रूप में हमेशा याद किया जाएगा।