News : उत्तर प्रदेश में ‘चोर गैंग’ की अफवाह से दहशत, 1300 गांव रात भर जाग रहे, पुलिस बेअसर!

News : पश्चिम उत्तर प्रदेश के पांच जिलों – मुरादाबाद, अमरोहा, संभल, बिजनौर और रामपुर – के करीब 1300 गांव इन दिनों एक अजीबोगरीब डर और अफवाह की गिरफ्त में हैं। यहां का माहौल ऐसा हो गया है मानो कोई युद्ध चल रहा हो।

जैसे ही रात होती है, युवक लाठी-डंडों और यहां तक कि हथियारों से लैस होकर गांव की पहरेदारी पर तैनात हो जाते हैं। छतों से टॉर्च की रोशनी में निगरानी होती है, रास्तों पर गश्त लगाई जाती है, और मंदिरों-मस्जिदों के लाउडस्पीकरों से ऐलान होने लगता है, जिससे पूरा गांव सतर्क हो जाता है।

News : दहशत की जड़: एक बेबुनियाद अफवाह

इस सामूहिक दहशत की जड़ एक अफवाह है, जो तेजी से फैल गई है। यह अफवाह बताती है कि 15 चोरों का एक खतरनाक गैंग एक कार से गांवों में आता है, ड्रोन का इस्तेमाल करके रेकी करता है, फिर लूटपाट करता है और महिलाओं से बदसलूकी भी करता है। इतना ही नहीं, विरोध करने पर ये लोग हत्या करने से भी नहीं हिचकते।

हालांकि, पुलिस रिकॉर्ड में ऐसी कोई भी घटना दर्ज नहीं हुई है जो इन दावों की पुष्टि करती हो। इसके बावजूद, गांवों में भय इतना गहरा है कि रात में किसी भी कार को गांव के भीतर ले जाना खतरे से खाली नहीं माना जा रहा है।

News : निगरानी चौकियां और ‘कार देखते ही पथराव’

इस अफवाह के चलते गांवों में एक अनौपचारिक सुरक्षा तंत्र विकसित हो गया है। स्थानीय लोगों ने जगह-जगह निजी चेक पोस्ट (प्राइवेट चौकियां) बना ली हैं। रात 12 बजे के बाद यदि कोई चार-पहिया वाहन गांव की ओर आता है, तो तुरंत छतों से टॉर्च की रोशनी उस पर पड़ती है और देखते ही देखते उस पर पथराव शुरू हो जाता है।

हाल ही में ऐसी ही एक घटना सामने आई, जहां एक युवक अपनी रिश्तेदारी में जा रहा था। उसकी दिल्ली नंबर की कार को चोरों की कार समझकर ग्रामीणों ने घेर लिया और उस पर पथराव कर शीशे तोड़ दिए। यह घटना दर्शाती है कि अफवाह कितनी गहरी जड़ें जमा चुकी है और लोग बिना किसी पुष्टि के हिंसक हो रहे हैं।

News : सोशल मीडिया बना ‘अलार्म सिस्टम’

अफवाहों को फैलाने और गांवों को अलर्ट करने में सोशल मीडिया एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। हर गांव में वॉट्सऐप ग्रुप बनाए गए हैं। थोड़ी सी आहट या जरा सा भी शक होने पर लोग तुरंत इन ग्रुप में मैसेज करते हैं। यह सिग्नल मिलते ही, आसपास के गांवों तक सूचना तेजी से पहुंच जाती है।

इसके बाद, मंदिर-मस्जिदों के लाउडस्पीकरों से पूरे गांव को अलर्ट करने का ऐलान होता है, और पल भर में पूरा गांव हथियारों के साथ अलर्ट हो जाता है। यह सोशल मीडिया की दोहरी भूमिका को दर्शाता है, जहां वह सूचना का माध्यम भी है और अफवाहों को तेजी से फैलाने वाला टूल भी।

News : अफवाहों का शिकार: यूट्यूबर और मंदबुद्धि युवक

इस दहशत का सबसे दुर्भाग्यपूर्ण पहलू यह है कि निर्दोष लोग भी इसका शिकार हो रहे हैं।

* यूट्यूबर बने चोर: 3 जुलाई को अमरोहा के रजबपुर गांव में ग्रामीणों ने रात में एक ड्रोन उड़ता देखा। चोरों के ड्रोन वाली अफवाह के चलते उन्हें तुरंत शक हो गया। उन्होंने तीन युवकों को पकड़ लिया जो असल में यूट्यूबर थे और इंस्टाग्राम रील्स बनाने के लिए ड्रोन का इस्तेमाल कर रहे थे।

पुलिस रिकॉर्ड के अनुसार, उनका कोई आपराधिक रिकॉर्ड नहीं था, फिर भी गुस्साई भीड़ ने उन्हें बुरी तरह पीटा और बाद में पुलिस को सौंप दिया। यहीं से पूरे इलाके में यह अफवाह और भी तेजी से फैल गई कि ‘ड्रोन वाले चोरों का गिरोह सक्रिय’ है।

* मंदबुद्धि युवक की पिटाई: ऐसी ही एक और घटना में, अमरोहा के पृथ्वीपुर कलां गांव में ग्रामीणों ने एक मंदबुद्धि युवक को चोर समझकर बुरी तरह पीट दिया। पुलिस ने समय रहते मौके पर पहुंचकर उसकी जान बचाई। यह घटना साफ करती है कि कैसे अफवाहों के कारण लोग विवेक खो रहे हैं और निर्दोषों को निशाना बना रहे हैं।

News : पुलिस की चुनौती और सामुदायिक सुरक्षा पर भरोसा

हालांकि पुलिस लगातार इन अफवाहों को बेबुनियाद बता रही है और लोगों से शांति बनाए रखने की अपील कर रही है, लेकिन गांवों में लोगों का भरोसा पुलिस से ज्यादा अपने बनाए हुए सामुदायिक सुरक्षा तंत्र पर ज्यादा है। ग्रामीण पुलिस की सलाह को नजरअंदाज कर अपनी सुरक्षा के लिए खुद ही हथियार उठा रहे हैं।

यह स्थिति कानून-व्यवस्था के लिए एक नई और गंभीर चुनौती पैदा कर रही है। अफवाहों के कारण उपजा यह भय न केवल सामाजिक सौहार्द बिगाड़ रहा है, बल्कि निर्दोष लोगों के लिए भी खतरा बन रहा है। पुलिस को चाहिए कि वह इन अफवाहों के स्रोत का पता लगाए और उन पर सख्त कार्रवाई करे।

साथ ही, गांवों में विश्वास बहाली के प्रयास किए जाएं और लोगों को यह समझाया जाए कि कानून को अपने हाथ में लेना अपराध है। जागरूकता अभियान और सामुदायिक पुलिसिंग को मजबूत करना इस समस्या से निपटने के लिए आवश्यक कदम हो सकते हैं।