UP : ये संपत्तियां भी होंगी मात्र 5000 रुपए में ट्रांसफर, योगी सरकार देने जा रही बड़ी राहत!

UP : उत्तर प्रदेश की योगी सरकार प्रदेश में औद्योगिक घरानों और परिवारों को बड़ी राहत देने की तैयारी में है। एक नए प्रस्तावित नियम के तहत, पैतृक संपत्तियों के बंटवारे के साथ-साथ अब औद्योगिक और संस्थागत संपत्तियों को भी शामिल किया जाएगा।

इन संपत्तियों को परिवार के सदस्यों के बीच हस्तांतरित करने पर मात्र 5,000 रुपये का स्टांप शुल्क लगाने का प्रस्ताव है। यह कदम उच्च स्तर से दिए गए सुझावों के आधार पर उठाया जा रहा है और कैबिनेट प्रस्ताव में आवश्यक संशोधन किए जा रहे हैं।

UP : पैतृक संपत्तियों के बंटवारे का मौजूदा परिदृश्य

वर्तमान में, उत्तर प्रदेश में पैतृक संपत्तियों के बंटवारे के लिए कोई विशिष्ट और सस्ती व्यवस्था नहीं है। इन संपत्तियों को परिवार के सदस्यों के बीच हस्तांतरित करने के लिए सामान्य रजिस्टरों की तरह ही भारी स्टांप शुल्क देना पड़ता है।

स्टांप एवं रजिस्ट्रेशन विभाग ने इस संबंध में एक कैबिनेट प्रस्ताव तैयार कर भेजा था, जिसमें पैतृक संपत्तियों को केवल 5,000 रुपये के स्टांप पर हस्तांतरित करने का प्रावधान था।

हालांकि, उच्च स्तर से इस प्रस्ताव को वापस करते हुए इसमें और संशोधन की आवश्यकता बताई गई है। यह बताया गया है कि इस प्रावधान में औद्योगिक और संस्थागत संपत्तियों को भी शामिल करने का सुझाव दिया गया है, जिससे इसका दायरा और भी बढ़ जाएगा।

UP : उद्यमियों को मिलेगा बड़ा फायदा

उत्तर प्रदेश में बड़ी संख्या में औद्योगिक संपत्तियां ऐसी हैं जो परिवारों के स्वामित्व में हैं। इनमें से कई पर उद्योग बंद हो चुके हैं, लेकिन इन संपत्तियों का परिवार के सदस्यों के बीच बंटवारा नहीं हो पा रहा है।

इसका मुख्य कारण इनके बंटवारे पर लगने वाला भारी-भरकम स्टांप शुल्क है। इसके परिणामस्वरूप, इन संपत्तियों पर अक्सर अवैध कब्जे की शिकायतें सामने आती रही हैं, और उच्च स्तर पर ऐसी कई शिकायतें लंबित हैं।

इस समस्या को गंभीरता से लेते हुए, सरकार ने पैतृक संपत्तियों के साथ-साथ औद्योगिक और संस्थागत संपत्तियों को भी इस प्रस्तावित नियम के दायरे में लाने का सुझाव दिया है।

इस कदम से उन उद्यमियों और परिवारों को बड़ी राहत मिलेगी जो अपनी औद्योगिक इकाइयों या खाली पड़ी औद्योगिक भूमि का कानूनी रूप से बंटवारा करना चाहते हैं। यह न केवल संपत्ति विवादों को कम करेगा बल्कि यह भी सुनिश्चित करेगा कि ऐसी संपत्तियों का उचित प्रबंधन और उपयोग हो सके।

UP : प्रस्तावित नीति के संभावित लाभ

योगी सरकार का यह कदम कई मायनों में फायदेमंद साबित होगा:

* संपत्तियों का आसान बंटवारा: प्रदेश में पैतृक, औद्योगिक और संस्थागत संपत्तियों का बंटवारा कानूनी रूप से आसान हो जाएगा। इससे परिवारों और औद्योगिक घरानों के बीच संपत्ति विवादों में कमी आएगी।

* राजस्व में वृद्धि: भले ही प्रति हस्तांतरण शुल्क कम हो, लेकिन बड़ी संख्या में लंबित बंटवारों के होने से स्टांप विभाग को करोड़ों रुपये का राजस्व प्राप्त होगा। यह उन संपत्तियों का भी पंजीकरण करवाएगा जो अब तक उच्च शुल्कों के कारण गैर-पंजीकृत थीं।

* अवैध कब्जों में कमी: चूंकि संपत्तियों का कानूनी बंटवारा संभव हो सकेगा, तो ऐसी संपत्तियों पर अवैध कब्जे की शिकायतों में कमी आएगी। स्पष्ट स्वामित्व होने से संपत्ति विवाद कम होंगे और संपत्ति धारकों को सुरक्षा मिलेगी।

* कानूनी मामलों में कमी: औद्योगिक और पैतृक संपत्तियों से जुड़े कोर्ट में चल रहे मामलों में काफी कमी आएगी। इससे न्यायालयों पर बोझ कम होगा और लोगों को त्वरित न्याय मिल पाएगा।

* पारिवारिक विवादों में कमी: संपत्ति के बंटवारे को लेकर होने वाले पारिवारिक विवादों में भी काफी हद तक कमी आएगी। यह परिवारों में सद्भाव बनाए रखने में मदद करेगा और अनावश्यक तनाव से बचाएगा।

UP : मौजूदा स्थिति और आगे की राह

स्टांप एवं रजिस्ट्रेशन विभाग वर्तमान में उच्च स्तर से प्राप्त सुझावों के आधार पर कैबिनेट प्रस्ताव में संशोधन कर रहा है। एक बार जब यह संशोधित प्रस्ताव तैयार हो जाएगा, तो इसे मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में होने वाली कैबिनेट बैठक में मंजूरी के लिए पेश किया जाएगा। इस प्रस्ताव की मंजूरी के बाद यह नियम उत्तर प्रदेश में लागू हो जाएगा।

यह कदम योगी सरकार की ईज़ ऑफ डूइंग बिजनेस और ईज़ ऑफ लिविंग की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल है। यह न केवल औद्योगिक निवेश के लिए अनुकूल माहौल तैयार करेगा बल्कि आम नागरिकों और परिवारों के लिए भी संपत्ति संबंधी प्रक्रियाओं को सरल बनाएगा। उम्मीद है कि यह परिवर्तन राज्य में संपत्ति प्रबंधन और कानूनी प्रक्रियाओं को अधिक सुलभ और कुशल बनाएगा।