Uttarakhand : उत्तराखंड सरकार ने प्रदेश के सभी सरकारी स्कूलों में एक महत्वपूर्ण शैक्षणिक और सांस्कृतिक पहल की शुरुआत की है। अब से, हर दिन प्रार्थना के दौरान छात्र-छात्राओं को श्रीमद्भगवद्गीता का एक श्लोक पढ़ाया जाएगा।
इस संबंध में राज्य के माध्यमिक शिक्षा निदेशक डॉ. मुकुल कुमार सती ने आदेश जारी कर दिया है। इस कदम का उद्देश्य बच्चों को पारंपरिक शिक्षा के साथ-साथ अपनी समृद्ध भारतीय संस्कृति और नैतिक मूल्यों से जोड़ना है, जो उनके जीवन में महत्वपूर्ण साबित होगा।
Uttarakhand : सीएम धामी की पहल
यह निर्णय मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के उस निर्देश का हिस्सा है, जिसमें उन्होंने राज्य के पाठ्यक्रम में गीता और रामायण की शिक्षाओं को शामिल करने की बात कही थी। अगले शैक्षणिक सत्र से इस दिशा में एक नया पाठ्यक्रम लाने की तैयारी चल रही है।
फिलहाल, इस अंतरिम व्यवस्था के तहत प्रार्थना के दौरान छात्रों को भगवद्गीता का श्लोक पढ़ाया जाएगा। यह केवल श्लोक का पाठ नहीं होगा, बल्कि श्लोक का अर्थ और उसका महत्व भी विस्तार से समझाया जाएगा।
इससे छात्रों को भारतीय पारंपरिक ज्ञान प्रणाली से सीधे जुड़ने का अवसर मिलेगा और वे अपनी जड़ों को बेहतर ढंग से समझ पाएंगे।
Uttarakhand : चरित्र निर्माण और नैतिक विकास पर जोर
इस पहल का मुख्य लक्ष्य छात्रों के चरित्र निर्माण, नैतिक मूल्यों के विकास, आत्मनियंत्रण, निर्णय लेने की क्षमता और वैज्ञानिक सोच को मजबूती प्रदान करना है।
भगवद्गीता के सार्वभौमिक सिद्धांत, जो कर्तव्य, कर्म, निस्वार्थता और विवेक पर आधारित हैं, छात्रों को जीवन की चुनौतियों का सामना करने के लिए तैयार करने में मदद करेंगे।
सरकार का मानना है कि ये शिक्षाएं केवल धार्मिक नहीं हैं, बल्कि जीवन जीने के व्यावहारिक मार्गदर्शन प्रदान करती हैं जो आधुनिक संदर्भ में भी प्रासंगिक हैं।
Uttarakhand : क्रियान्वयन और शिक्षकों की भूमिका
यह सुनिश्चित करने के लिए कि यह पहल प्रभावी ढंग से लागू हो, स्कूलों के नोटिस बोर्ड पर भी दैनिक श्लोक और उसका अर्थ लिखा जाएगा। यह छात्रों को दिन भर उन शिक्षाओं को याद रखने और उन पर मनन करने में मदद करेगा।
शिक्षकों को विशेष निर्देश दिए गए हैं कि वे समय-समय पर गीता के सिद्धांतों को छात्रों को सरल और प्रभावी तरीके से समझाएं और उन्हें यह बताएं कि ये सिद्धांत उनके दैनिक जीवन और भविष्य में कैसे उपयोगी हो सकते हैं।
शिक्षकों की भूमिका यहां महत्वपूर्ण होगी क्योंकि वे इन जटिल अवधारणाओं को छात्रों के लिए सुलभ बनाएंगे।
Uttarakhand : शिक्षा और संस्कृति का संगम
यह कदम केवल धार्मिक शिक्षा तक सीमित नहीं है, बल्कि एक व्यापक सांस्कृतिक और नैतिक दृष्टिकोण को दर्शाता है। यह दर्शाता है कि उत्तराखंड सरकार शिक्षा को केवल अकादमिक ज्ञान तक सीमित नहीं रखना चाहती, बल्कि छात्रों के सर्वांगीण विकास पर भी ध्यान केंद्रित कर रही है, जिसमें उनके नैतिक और सांस्कृतिक आयाम भी शामिल हैं।
भगवद्गीता के श्लोकों के माध्यम से, छात्रों को धैर्य, ईमानदारी, सत्यनिष्ठा, और सामाजिक जिम्मेदारी जैसे गुणों को आत्मसात करने का अवसर मिलेगा।
इस पहल से छात्रों में अपनी संस्कृति और विरासत के प्रति सम्मान बढ़ेगा, जिससे वे भविष्य में जिम्मेदार नागरिक बन सकेंगे। यह आधुनिक शिक्षा प्रणाली में भारतीय मूल्यों को एकीकृत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है, जिसका उद्देश्य ऐसे युवा तैयार करना है जो न केवल शिक्षित हों, बल्कि नैतिक रूप से मजबूत और सांस्कृतिक रूप से जागरूक भी हों।
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