News : उत्तर प्रदेश के झांसी में एक निजी माइक्रो फाइनेंस बैंक द्वारा कर्ज वसूली के नाम पर कथित रूप से की गई गुंडागर्दी का चौंकाने वाला मामला सामने आया है। यहां एक महिला को उसकी लोन की किस्त न चुकाने पर लगभग 5 घंटे तक बैंक के अंदर बंधक बनाकर बैठाए रखने का आरोप है।
पीड़ित महिला के पति के पुलिस को सूचना देने के बाद ही उसे छुड़ाया जा सका। यह घटना एक बार फिर से निजी वित्तीय संस्थानों की अवैध वसूली पद्धतियों और कानून-व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े करती है।
News : क्या है पूरा मामला?
यह सनसनीखेज घटना झांसी जिले के ग्राम बम्हरौली के आजाद नगर मोहल्ले में स्थित एक निजी समूह लोन देने वाले बैंक से संबंधित है। बाबई रोड, पूंछ निवासी रविंद्र वर्मा की पत्नी पूजा वर्मा को सोमवार दोपहर करीब 12 बजे बैंक कर्मचारियों ने कथित तौर पर बैंक के अंदर जबरन बैठाकर रखा। जब रविंद्र अपनी पत्नी को लेने बैंक पहुंचे, तो उन्हें स्पष्ट रूप से कह दिया गया कि “पैसे दो, तभी बीवी मिलेगी।” रविंद्र ने बैंक कर्मचारियों से कई बार मिन्नतें कीं, लेकिन उन्होंने कोई नरमी नहीं दिखाई।
जब सारी कोशिशें नाकाम रहीं, तो रविंद्र ने थक-हारकर डायल 112 पर पुलिस को सूचना दी। पुलिस के मौके पर पहुंचते ही बैंक कर्मचारियों में हड़कंप मच गया और उन्होंने आनन-फानन में महिला को बाहर निकाला। यह घटना दिखाती है कि कैसे कुछ निजी बैंक, कर्ज वसूली के लिए गैर-कानूनी और अमानवीय तरीकों का इस्तेमाल करने से भी गुरेज नहीं करते।
News : पीड़िता के चौंकाने वाले आरोप
पीड़िता पूजा वर्मा ने कोतवाली मोंठ में दिए गए अपने प्रार्थना पत्र में कई चौंकाने वाले आरोप लगाए हैं। उन्होंने बताया कि उन्होंने बैंक से 40,000 रुपये का लोन लिया था और अब तक इसकी 11 किस्तें जमा कर चुकी हैं। हालांकि, उनका आरोप है कि बैंक रिकॉर्ड में केवल 8 किस्तें ही दिखाई जा रही हैं, जबकि तीन किस्तें गायब हैं। पूजा का सीधा आरोप है कि बैंक एजेंट कौशल और धर्मेंद्र ने उनकी तीन किस्तें हड़प ली हैं।
पूजा वर्मा ने आगे बताया कि मध्य प्रदेश के टीकमगढ़ निवासी बैंक के सीओ संजय यादव सोमवार को उनके घर पहुंचे और धमकी भरे अंदाज में उनसे रकम मांगने लगे। जब उन्होंने भुगतान करने से मना किया, तो पति-पत्नी दोनों को जबरन बैंक लाकर घंटों तक बैठा दिया गया। ये आरोप अगर सही साबित होते हैं, तो यह न केवल अवैध बंधक बनाने का मामला होगा, बल्कि धोखाधड़ी और गबन का भी बड़ा खुलासा होगा।
News : बैंक की सफाई और पुलिस की जांच
इस मामले पर बैंक मैनेजर अनुज कुमार (निवासी कानपुर देहात) ने अपनी सफाई दी है। उन्होंने कहा कि महिला 7 महीने से किस्त नहीं दे रही थी, इसलिए उसे बैंक बुलाया गया था। उन्होंने दावा किया कि महिला अपनी मर्जी से बैंक में बैठी थी और उसे बंधक नहीं बनाया गया था। हालांकि, पुलिस के पहुंचने पर बैंक कर्मचारियों का आनन-फानन में महिला को बाहर निकालना बैंक के इस दावे पर संदेह पैदा करता है।
फिलहाल, पुलिस ने मामले को गंभीरता से लेते हुए जांच शुरू कर दी है। बैंक स्टाफ, आरोपी एजेंटों और पीड़ित पक्ष से पूछताछ की जा रही है। पुलिस यह पता लगाने की कोशिश कर रही है कि क्या वास्तव में महिला को बंधक बनाया गया था और क्या एजेंटों द्वारा किस्तों की गबन का आरोप सही है। इस मामले में बैंक के आंतरिक रिकॉर्ड और भुगतान रसीदों की गहन जांच भी महत्वपूर्ण होगी।
News : कानून-व्यवस्था और बैंकिंग नियमों पर उठे सवाल
यह घटना कई गंभीर सवाल खड़े करती है:
* क्या लोन वसूली के नाम पर बंधक बनाने जैसे गैर-कानूनी हथकंडे अब आम बात हो गए हैं?
* क्या निजी माइक्रो फाइनेंस बैंक आरबीआई के दिशानिर्देशों का उल्लंघन करते हुए इस तरह की बलपूर्वक वसूली कर रहे हैं?
* स्थानीय प्रशासन और पुलिस ऐसे मामलों पर कितनी सक्रियता से कार्रवाई करते हैं?
* क्या बैंक कर्मचारियों और एजेंटों पर किस्तें हड़पने के आरोप बैंकिंग धोखाधड़ी के एक बड़े नेटवर्क की ओर इशारा करते हैं?
इस घटना ने न केवल संबंधित बैंक की कार्यप्रणाली और नैतिकता पर, बल्कि उत्तर प्रदेश में कानून व्यवस्था पर भी बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है। यह देखना होगा कि पुलिस इस मामले में कितनी तेजी और निष्पक्षता से जांच पूरी करती है और दोषियों के खिलाफ क्या कार्रवाई की जाती है।
आम जनता के लिए यह जानना भी जरूरी है कि ऐसे मामलों में उनके कानूनी अधिकार क्या हैं और उन्हें ऐसी परिस्थितियों में कैसे प्रतिक्रिया देनी चाहिए। क्या बैंकिंग नियामक प्राधिकरणों को ऐसे निजी बैंकों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करनी चाहिए जो ऋण वसूली के लिए अनैतिक और गैरकानूनी तरीकों का इस्तेमाल करते हैं?