News : प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने ऑनलाइन सट्टेबाजी ऐप से जुड़े एक बड़े मामले में टेक दिग्गज Google और Meta को नोटिस जारी कर 21 जुलाई को पूछताछ के लिए तलब किया है।
ईडी का आरोप है कि इन दोनों कंपनियों ने अपने प्लेटफॉर्म पर सट्टेबाजी वाले ऐप्स और उनके विज्ञापनों को प्रमुखता से दिखाकर उन्हें बढ़ावा दिया। यह पहली बार है जब इतनी बड़ी वैश्विक टेक कंपनियों को भारत में अवैध सट्टेबाजी के लिए जवाबदेह ठहराया जा रहा है, जिससे मामले की गंभीरता और ईडी के जांच के दायरे का पता चलता है।
News : Google और Meta पर आरोप और समन
ईडी के सूत्रों के अनुसार, गूगल और मेटा पर आरोप है कि उन्होंने ऑनलाइन सट्टेबाजी ऐप्स को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
इन कंपनियों ने अपनी विज्ञापन नीतियों के तहत या अन्य माध्यमों से इन अवैध सट्टेबाजी वेबसाइटों और ऐप्स को अपने प्लेटफॉर्म पर प्रमुखता से प्रदर्शित किया, जिससे वे बड़ी संख्या में उपयोगकर्ताओं तक पहुंच सके। यह आरोप गंभीर हैं क्योंकि ये सीधे तौर पर इन कंपनियों की सामग्री मॉडरेशन और विज्ञापन नीतियों पर सवाल उठाते हैं।
21 जुलाई को होने वाली पूछताछ में ईडी इन कंपनियों से उनके प्लेटफॉर्म पर सट्टेबाजी विज्ञापनों के प्रदर्शन, उनकी आंतरिक नीतियों और इस संबंध में उनकी जिम्मेदारी पर स्पष्टीकरण मांगेगा।
News : ED का व्यापक अभियान और पहले की कार्रवाई
ईडी काफी समय से अवैध ऑनलाइन सट्टेबाजी के खिलाफ एक बड़ा अभियान चला रहा है। इस अभियान के तहत कई हाई-प्रोफाइल हस्तियों और डिजिटल प्लेटफॉर्म की भूमिका की गहन जांच की जा रही है।
पिछले कुछ समय में, कई फिल्मी सितारों और सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर्स को भी अवैध सट्टेबाजी ऐप्स के प्रचार-प्रसार में उनकी भूमिका के लिए ईडी द्वारा पूछताछ के लिए बुलाया जा चुका है। इन कार्रवाइयों से यह स्पष्ट होता है कि ईडी इस अवैध धंधे में शामिल हर कड़ी को बेनकाब करने के लिए प्रतिबद्ध है।
गूगल और मेटा को समन जारी करना इस अभियान का एक और महत्वपूर्ण पड़ाव है, जो यह दर्शाता है कि ईडी अब केवल व्यक्तिगत प्रचारकों तक सीमित नहीं है, बल्कि उन प्लेटफार्मों को भी जवाबदेह ठहरा रहा है जो इन गतिविधियों को संभव बनाते हैं।
News : ‘स्किल बेस्ड गेम’ की आड़ में सट्टेबाजी का धंधा
ईडी की जांच में यह बात सामने आई है कि ऑनलाइन सट्टेबाजी ऐप्स का एक बड़ा नेटवर्क चल रहा है, जो अक्सर खुद को ‘स्किल बेस्ड गेम’ के रूप में पेश करते हैं ताकि नियामक जांच से बच सकें।
हालांकि, जांच एजेंसियों का मानना है कि इन ऐप्स का प्राथमिक उद्देश्य अवैध सट्टेबाजी को बढ़ावा देना है। इन ऐप्स के माध्यम से करोड़ों रुपये की काली कमाई की गई है, और ईडी को संदेह है कि इस अवैध धन को हवाला चैनलों के माध्यम से देश के बाहर भेजा जा रहा है ताकि इसे ट्रैक न किया जा सके।
इस तरह की गतिविधियां न केवल वित्तीय अपराध हैं बल्कि देश की अर्थव्यवस्था और नियामक ढांचे के लिए भी खतरा पैदा करती हैं। ईडी इस पूरे नेटवर्क की गहराई से जांच कर रहा है ताकि इसमें शामिल सभी व्यक्तियों और संस्थाओं को कटघरे में लाया जा सके।
21 जुलाई को गूगल और मेटा के प्रतिनिधियों की ईडी के सामने पेशी से इस मामले में नए मोड़ आने की उम्मीद है। यह देखना दिलचस्प होगा कि ये कंपनियां अपने बचाव में क्या तर्क पेश करती हैं और ईडी इन पर क्या कार्रवाई करती है।
इस मामले का परिणाम न केवल ऑनलाइन विज्ञापन उद्योग के लिए महत्वपूर्ण होगा, बल्कि यह भारत में ऑनलाइन सट्टेबाजी के खिलाफ लड़ाई में एक मिसाल भी कायम करेगा।
यदि ईडी इन कंपनियों को दोषी पाती है, तो उन्हें भारी जुर्माना और अन्य कानूनी परिणामों का सामना करना पड़ सकता है, जिससे भविष्य में ऐसी गतिविधियों को बढ़ावा देने से रोकने में मदद मिलेगी।