Uttarakhand : मदरसों में स्कॉरशिप वितरण में धांधली, CM धामी ने दिए जांच के आदेश!

Uttarakhand : उत्तराखंड में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने अल्पसंख्यक संस्थानों में स्कॉलरशिप के नाम पर चल रहे एक बड़े घोटाले की गहन जांच के आदेश दिए हैं.

यह मामला उस समय सामने आया जब उधम सिंह नगर जिले में एक सरस्वती शिशु मंदिर हाई स्कूल को कागजों में अल्पसंख्यक विद्यालय या मदरसा दिखाकर केंद्र सरकार की स्कॉलरशिप हड़पने का खुलासा हुआ.

इस गंभीर धांधली को देखते हुए मुख्यमंत्री ने तत्काल प्रभाव से विशेष सचिव, अल्पसंख्यक कल्याण विभाग को गुरुवार को विस्तृत जांच के निर्देश जारी किए.

Uttarakhand : जांच के घेरे में 796 बच्चों के संदिग्ध आवेदन

यह पूरा मामला उधम सिंह नगर जिले से जुड़ा है, जहां 2021-2022 और 2022-2023 के राष्ट्रीय छात्रवृत्ति पोर्टल पर दर्ज अल्पसंख्यक स्कॉलरशिप आवेदकों की प्रामाणिकता जांचने के लिए 796 बच्चों के दस्तावेजों की जानकारी मांगी गई थी.

प्रारंभिक जांच में ही चौंकाने वाले तथ्य सामने आए हैं. इन 796 आवेदनों में से छह मदरसों और शिक्षण संस्थानों में पढ़ने वाले 456 बच्चों के बारे में जानकारी संदिग्ध पाई गई है.

खास बात यह है कि इन संदिग्ध स्कूलों की सूची में सरस्वती शिशु मंदिर हाईस्कूल, किच्छा का नाम भी शामिल है. यहीं से इस पूरे मामले में धांधली की बू आई, क्योंकि सरस्वती शिशु मंदिर एक अल्पसंख्यक विद्यालय नहीं होता, बल्कि यह राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से संबद्ध एक हिंदू शैक्षिक संस्थान है.

इस स्कूल का संचालक मोहम्मद शारिक-अतीक नाम के शख्स को बताया गया है, और राष्ट्रीय छात्रवृत्ति पोर्टल के अनुसार, यहां 154 मुस्लिम बच्चों का पढ़ना बताया गया है. राष्ट्रीय छात्रवृत्ति पोर्टल पर यह विसंगति देखकर सरकार भी हैरान है और इसी कारण मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने मामले की गहन जांच के निर्देश दिए हैं.

Uttarakhand : अन्य संदिग्ध संस्थान और उनकी भूमिका

सरस्वती शिशु मंदिर के अलावा, कई अन्य संस्थानों पर भी संदेह की सुई घूम रही है, जिनके दस्तावेजों की भी गहन जांच की जा रही है:

* काशीपुर का नेशनल अकादमी जेएमवाईआईएचएस: यहां पढ़ने वाले 125 मुस्लिम छात्रों और इसके संचालक गुलशफा अंसारी के सत्यापन का भी आदेश दिया गया है.

* मदरसा अल जामिया उल मदरिया (संचालक मोहम्मद फैजान): इस मदरसे के 27 बच्चों के दस्तावेजों की जांच की जा रही है.

* मदरसा अल्बिया रफीक उल उलूम घनसारा, बाजपुर (संचालक जावेद अहमद): यहां के 39 बच्चों के बारे में भी दस्तावेज जांचने को कहा गया है.

* मदरसा जामिया आलिया, गदरपुर (संभवतः जावेद अहमद के नाम से): इस मदरसे के 24 बच्चों के दस्तावेजों की जांच के भी निर्देश दिए गए हैं.

* मदरसा जामिया रजा उल उलूम बाजपुर (संचालक इरशाद अली): इस मदरसे के 85 बच्चों और संचालक के सत्यापन करने के निर्देश भी दिए गए हैं.

इन सभी मामलों की गहनता से जांच पड़ताल करने के लिए उधम सिंह नगर की जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी नंदिनी सिंह को सचिव, अल्पसंख्यक कल्याण द्वारा निर्देश दिए गए हैं.

Uttarakhand : दो हफ्तों में रिपोर्ट की मांग

गुरुवार को मामला संज्ञान में आने के बाद मुख्यमंत्री धामी ने इस घोटाले की जांच रिपोर्ट दो हफ्तों के भीतर प्रस्तुत करने के सख्त निर्देश दिए हैं. यह समय-सीमा सरकार की इस मामले को गंभीरता से लेने और त्वरित कार्रवाई करने की मंशा को दर्शाती है.

इस संबंध में विशेष सचिव डॉ. पराग मधुकर धकाते, जो अब इस मामले की जांच कर रहे हैं, ने बताया कि सरस्वती शिशु मंदिर के नाम से एक वर्ग विशेष द्वारा अल्पसंख्यक छात्रवृत्ति के मामले के संज्ञान में आने के साथ ही अन्य मदरसों की ओर से राष्ट्रीय छात्रवृत्ति में दर्ज आवेदनों को लेकर संदेह पैदा हुआ है. उन्होंने पुष्टि की कि इस पर पूरे राज्य में जांच की जा रही है और केंद्र सरकार के मंत्रालय से भी संवाद किया जा रहा है.

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने मीडिया से बातचीत करते हुए स्पष्ट रूप से कहा है कि “देवभूमि में भ्रष्टाचार के मामलों को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा.” उनका यह बयान राज्य सरकार के भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की नीति को रेखांकित करता है.

यह घोटाला न केवल केंद्र सरकार की महत्वपूर्ण छात्रवृत्ति योजना में सेंध लगाने का मामला है, बल्कि उन गरीब और योग्य छात्रों के अधिकारों का भी हनन है जिन्हें वास्तव में इन स्कॉलरशिप की आवश्यकता है. इस जांच से उम्मीद है कि दोषी व्यक्तियों और संस्थानों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी और भविष्य में इस तरह की धांधली को रोका जा सकेगा.