News : उत्तराखंड के दूर-दराज के गांवों में रहने वाले लोगों की मुश्किलें खत्म होने का नाम नहीं ले रही हैं। सड़क और मूलभूत सुविधाओं की कमी के कारण एक बार फिर मानवता और प्रशासन की विफलता का दर्दनाक उदाहरण सामने आया है।
पिथौरागढ़ जिले के कनार गांव में एक गंभीर रूप से बीमार महिला को समय पर अस्पताल पहुंचाने के लिए हेलीकॉप्टर नहीं मिला, जिसके बाद ग्रामीणों को उसे बचाने के लिए जान जोखिम में डालकर एक बरसाती नाला पार कराना पड़ा।
News : सड़क से 18 किमी दूर कनार गांव की कहानी
कनार गांव की 59 वर्षीय कलावती देवी की तीन दिन पहले अचानक तबीयत बिगड़ गई। उनके हाथ-पैर में सूजन आ गया, जिससे उनकी हालत गंभीर होती जा रही थी। यह गांव सड़क से लगभग 18 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।
गांव की प्रधान सरिता देवी ने बताया कि परिजनों ने तुरंत प्रशासन से हेलीकॉप्टर की मांग की, ताकि महिला को समय पर अस्पताल पहुंचाया जा सके। लेकिन, प्रशासनिक लापरवाही कहें या संसाधनों की कमी, हेलीकॉप्टर उपलब्ध नहीं हो सका।
इसके बाद, ग्रामीणों ने हिम्मत नहीं हारी। उन्होंने महिला को एक डोली में लिटाकर 10 किलोमीटर की पैदल यात्रा तय की और उसे खेतीखान तक पहुंचाया। लेकिन, यहां उनकी मुश्किलें खत्म नहीं हुईं। रास्ते में एक बरसाती नाला था, जिस पर बना पैदल पुल बारिश के कारण बह गया था। नाले का बहाव इतना तेज था कि उसे पार करना असंभव था।
News : जान जोखिम में डालकर बचाया जीवन
ऐसे में, ग्रामीणों ने एसडीआरएफ (SDRF) की मदद से एक अनूठी तकनीक का सहारा लिया। उन्होंने दो मजबूत तारों को बांधकर एक रोप बनाई। फिर, कलावती देवी को स्ट्रेचर पर मजबूती से बांधकर तारों के सहारे नाले के पार पहुंचाया गया। यह दृश्य उन सभी के लिए दिल दहला देने वाला था जो वहां मौजूद थे। एक छोटी सी लापरवाही भी बड़ी दुर्घटना का कारण बन सकती थी।
नाले को पार करने के बाद, ग्रामीणों ने एक बार फिर डोली को उठाया और आठ किलोमीटर की यात्रा तय की। बरम गांव पहुंचने के बाद उन्हें एक वाहन मिला, जिसके जरिए महिला को आखिरकार जिला अस्पताल पहुंचाया जा सका।
धारचूला के प्रभारी एसडीएम मनजीत सिंह ने बताया कि हेलीकॉप्टर उत्तरकाशी में आई आपदा राहत कार्यों में लगा हुआ था, इसलिए उसे कनार नहीं भेजा जा सका। हालांकि, उन्होंने कहा कि बीमार महिला को बचाने के लिए एसडीआरएफ की टीम तुरंत भेज दी गई थी।
News : उफनते गधेरों को पार कर स्कूल जाते बच्चे
यह अकेली घटना नहीं है जो पहाड़ों में जीवन की चुनौतियों को दर्शाती है। दो दिन की लगातार बारिश ने गोदी-खीड़ा मोटर मार्ग को भी बुरी तरह क्षतिग्रस्त कर दिया है। खीड़ा से सिर्फ एक किलोमीटर पहले ग्वाली गधेरे के तेज बहाव में सड़क बह गई है।
इसके बावजूद, अभिभावक अपने बच्चों को स्कूल भेजने के लिए मजबूर हैं। वे जान जोखिम में डालकर पत्थरों के सहारे उफनते गधेरे को पार कर रहे हैं, अपने बच्चों को पीठ पर लादकर स्कूल पहुंचा रहे हैं।
यह स्थिति यह दिखाती है कि पहाड़ों में बुनियादी सुविधाओं की कमी कितनी गंभीर है और लोग रोज किस तरह की मुश्किलों का सामना करते हैं। यह समय है कि प्रशासन इन समस्याओं पर गंभीरता से ध्यान दे और दूर-दराज के गांवों में रहने वाले लोगों को भी सुरक्षित और सम्मानित जीवन का अधिकार मिले।
