News : उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नेता कर्नल अजय कोठियाल को एक महत्वपूर्ण जिम्मेदारी सौंपी है। उन्हें धराली में आई हाल की आपदा के बाद पूरी गंगोत्री घाटी में पुनर्स्थापना और पुनर्निर्माण का काम सौंपा गया है।
कर्नल कोठियाल का यह अनुभव केदारनाथ आपदा के बाद के पुनर्निर्माण कार्यों में उनके योगदान के कारण विशेष रूप से महत्वपूर्ण माना जाता है, जहाँ उन्होंने सराहनीय काम किया था।
News : आपदा के बाद की चुनौतियाँ और प्राथमिकताएँ
धारली में आई भीषण प्राकृतिक आपदा ने पूरी हर्षिल घाटी और गंगोत्री क्षेत्र के जनजीवन को पूरी तरह से अस्त-व्यस्त कर दिया है। जहाँ एक ओर सरकार राहत और बचाव कार्यों को प्राथमिकता दे रही है, वहीं दूसरी ओर लंबे समय के लिए पुनर्स्थापना की योजना भी आवश्यक है। इसी को देखते हुए, मुख्यमंत्री धामी ने कर्नल कोठियाल को इस बड़े कार्य का जिम्मा सौंपा है।
कर्नल कोठियाल ने बताया कि ऐसी आपदाओं के बाद नई शुरुआत के लिए प्राथमिकताओं को तय करना सबसे महत्वपूर्ण होता है। उन्होंने कहा कि उनकी पहली प्राथमिकता आपदा से प्रभावित हुए लोगों की खोजबीन है।
इसके बाद, जल्द ही गंगोत्री धाम की यात्रा शुरू होनी है, जिसे बाधित नहीं होने देना है। उनका मानना है कि यदि यात्रा बाधित होती है, तो इसका बुरा असर पूरे क्षेत्र की आर्थिकी पर पड़ेगा। इसलिए, यात्रा को सुचारू रूप से फिर से शुरू करना उनकी दूसरी बड़ी प्राथमिकता है।
News : सामरिक महत्व और सुरक्षा
कर्नल कोठियाल ने इस क्षेत्र के सामरिक महत्व पर भी जोर दिया। उन्होंने कहा कि गंगोत्री-हर्षिल घाटी न केवल धार्मिक और आर्थिक दृष्टि से, बल्कि देश की सुरक्षा के लिए भी बहुत महत्वपूर्ण है।
इस क्षेत्र में जल्द से जल्द सामान्य व्यवस्थाओं को बहाल करना आवश्यक है। उन्होंने कहा कि पड़ोसी देशों को यह संदेश नहीं जाना चाहिए कि यहाँ की कनेक्टिविटी या अन्य व्यवस्थाओं में कोई दिक्कत है। यह भारत की सुरक्षा से जुड़ा एक गंभीर मुद्दा है।
News : अनुभव और युवा शक्ति का उपयोग
कर्नल कोठियाल ने बताया कि उनके पास केदारनाथ के पुनर्निर्माण और नेहरू इंस्टीट्यूट ऑफ माउंटेनियरिंग (एनआईएम) में काम करने का लंबा अनुभव है।
उन्होंने उत्तरकाशी क्षेत्र में भी लंबे समय तक काम किया है। वे अपने इस अनुभव का लाभ उठाएंगे और उन युवाओं को भी इस काम में जोड़ेंगे जिन्होंने उनके साथ एनआईएम में काम किया है। वह खुद आज ही हर्षिल के लिए निकल रहे हैं और पैदल रास्ते से जाते हुए अपनी रणनीति तैयार करेंगे।
News : हिमालय की चुनौतियाँ और तकनीक का महत्व
कर्नल कोठियाल ने हिमालय की भूगर्भीय चुनौतियों पर भी प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि हिमालय एक बहुत ही “युवा पर्वत” है, जिसमें अभी भी भूगर्भीय प्रक्रियाओं और सेटलमेंट की प्रक्रिया चल रही है।
उन्होंने एक उदाहरण देते हुए बताया कि जब उन्होंने माउंट एवरेस्ट पर चढ़ाई की थी, उसके बाद से एवरेस्ट की ऊँचाई 2 मीटर बढ़ चुकी है। यह दर्शाता है कि हिमालय हमारे लिए आपदाओं के दृष्टिकोण से बेहद चुनौती भरा है।
उन्होंने जोर दिया कि इस चुनौती से निपटने के लिए टेक्नोलॉजी के एडवांसमेंट पर काम करना जरूरी है। आपदा की प्राथमिकताओं को ध्यान में रखते हुए, इन्वेस्टिगेशन और तकनीकी निवेश को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।
कर्नल कोठियाल ने बताया कि भटवाड़ी से लेकर हर्षिल और गंगोत्री तक कनेक्टिविटी टूट गई है और बहुत ज्यादा नुकसान हुआ है। सरकार युद्धस्तर पर पुनर्निर्माण और पुनर्स्थापना का काम कर रही है। उन्होंने कहा कि यह एक लंबी प्रक्रिया हो सकती है, लेकिन उनकी कोशिश रहेगी कि एक महीने के भीतर चीजों की शुरुआत हो जाए और गंगोत्री यात्रा फिर से शुरू हो सके।
