News : उत्तरकाशी के धराली बाज़ार में 5 अगस्त को आई भीषण आपदा ने उत्तराखंड सरकार को हरकत में ला दिया है। खीरगंगा से आए पानी के सैलाब ने न सिर्फ धराली बाज़ार को मलबे के ढेर में बदल दिया, बल्कि पूरे क्षेत्र में तबाही का मंज़र खड़ा कर दिया।
इस त्रासदी के बाद मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के नेतृत्व में सरकार भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए कमर कस चुकी है। देहरादून स्थित सीएम आवास पर हुई एक उच्च-स्तरीय बैठक में, मुख्यमंत्री ने आपदा प्रबंधन और सुरक्षा व्यवस्था से जुड़े मुद्दों पर विस्तार से चर्चा की और कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए।
News : निर्माण कार्यों पर सख्त प्रतिबंध
बैठक में सबसे बड़ा और महत्वपूर्ण निर्णय प्राकृतिक आपदाओं के प्रति संवेदनशील स्थानों पर किसी भी प्रकार के निर्माण पर रोक लगाना था। मुख्यमंत्री ने स्पष्ट निर्देश दिए कि भूस्खलन, हिमस्खलन और अन्य प्राकृतिक खतरों वाले क्षेत्रों में सरकारी या निजी, किसी भी तरह का निर्माण कार्य नहीं होगा।
इसके अलावा, राज्य के प्राकृतिक जल स्रोतों और नदी-नालों के तटों पर भी हर तरह के निर्माण पर पूर्ण प्रतिबंध रहेगा। यह कदम भविष्य में होने वाले नुकसान को कम करने के लिए एक निर्णायक कदम माना जा रहा है।
मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को तत्काल उन सभी संवेदनशील स्थानों की पहचान करने के निर्देश दिए हैं, जहाँ भूस्खलन या हिमस्खलन का खतरा है। इस पहचान के बाद इन क्षेत्रों में किसी भी तरह की गतिविधि को रोकने के लिए सख्त कदम उठाए जाएँगे।
News : त्रासदी का भयावह मंज़र
धराली में आई आपदा ने 66 लोगों को लापता कर दिया, जबकि 5 लोगों की मौत की पुष्टि हुई है। खीरगंगा से आए पानी और मलबे के सैलाब ने पूरे बाज़ार को अपनी चपेट में ले लिया, और अब यह बाज़ार मलबे के ढेर के नीचे दफ़न हो चुका है। बीते सात दिनों से रेस्क्यू ऑपरेशन जारी है और सरकार का पूरा ध्यान लापता लोगों को खोजने पर केंद्रित है।
इस आपदा के तुरंत बाद मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी खुद रेस्क्यू ऑपरेशन की निगरानी के लिए आपदाग्रस्त क्षेत्रों में मौजूद रहे। उन्होंने कई दिनों तक कैंप किया और अधिकारियों को आवश्यक दिशा-निर्देश दिए। गढ़वाल आयुक्त विनय शंकर पांडेय के अनुसार, इस आपदा में फंसे क़रीब 1200 लोगों को सुरक्षित बाहर निकाला गया है।
सरकार ने आपदा पीड़ितों को राहत देने के लिए भी कदम उठाए हैं। प्रत्येक आपदा पीड़ित परिवार को ₹5 लाख की आर्थिक सहायता दी गई है, ताकि वे इस मुश्किल घड़ी में अपना जीवन फिर से शुरू कर सकें।
News : हर्षिल घाटी में नया खतरा
धराली आपदा के बाद अब हर्षिल घाटी में एक नया खतरा सामने आया है। हेलीपैड पर बनी एक अस्थाई झील ने चिंता बढ़ा दी है। यह झील क़रीब 4 किलोमीटर तक फैली है, जिसने भागीरथी नदी के प्राकृतिक प्रवाह को रोक दिया है। इस स्थिति से गंगोत्री हाईवे भी डूब गया है, जिससे आवागमन में बाधा आ रही है।
इस संभावित खतरे को देखते हुए, सिंचाई विभाग और अन्य तकनीकी टीमें झील को नियंत्रित करने की कोशिश कर रही हैं। उनका मुख्य उद्देश्य झील को धीरे-धीरे पंचर करना है, ताकि पानी धीरे-धीरे बाहर निकल सके और किसी भी तरह के अचानक सैलाब से बचा जा सके। यह एक संवेदनशील ऑपरेशन है, क्योंकि अगर झील को तेज़ी से तोड़ा गया तो नीचे के इलाकों में एक और भयानक आपदा आ सकती है।
इस पूरे घटनाक्रम ने यह साबित कर दिया है कि उत्तराखंड को प्राकृतिक आपदाओं से निपटने के लिए एक स्थायी और दूरगामी नीति की आवश्यकता है। सरकार के नए निर्देश और कड़े फ़ैसले यह दर्शाते हैं कि वह इस दिशा में गंभीर है।
