News : उत्तराखंड की पुष्कर सिंह धामी सरकार ने महिलाओं के आर्थिक सशक्तिकरण की दिशा में एक और बड़ा कदम उठाया है। ‘लखपति दीदी’ योजना की सफलता के बाद अब राज्य सरकार ने ‘जलसखी योजना’ की शुरुआत की है, जिसका उद्देश्य ग्रामीण महिलाओं को पानी प्रबंधन से जोड़ते हुए उन्हें घर बैठे रोजगार उपलब्ध कराना है।
यह योजना खासतौर पर उन क्षेत्रों के लिए फायदेमंद मानी जा रही है, जहां महिलाएं पारंपरिक रूप से जल-संसाधनों के प्रबंधन में सक्रिय रही हैं।
News : क्या है जलसखी योजना?
जलसखी योजना के तहत राज्य की ग्रामीण और पर्वतीय क्षेत्रों की महिलाओं को प्रशिक्षित कर जल संरक्षण, जल परीक्षण, पाइपलाइन देखरेख और जल गुणवत्ता सुधार जैसे कार्यों से जोड़ा जाएगा। महिलाएं गांवों में पाइपलाइनों की जांच, पानी के स्रोतों की निगरानी और घर-घर जाकर जल के नमूनों की जांच करेंगी।
इस योजना के अंतर्गत महिलाओं को एक तरह से ‘जलदूत’ की भूमिका दी जाएगी, जो न केवल जल संरक्षण में अहम भूमिका निभाएंगी, बल्कि जल जीवन मिशन के तहत चल रही योजनाओं में भी स्थानीय स्तर पर प्रशासन की मदद करेंगी।
News : क्यों खास है यह योजना?
उत्तराखंड जैसे पहाड़ी राज्य में पानी की उपलब्धता और उसकी गुणवत्ता हमेशा से एक चुनौती रही है। कई गांवों में पानी के स्रोत सीमित हैं, और पाइपलाइन क्षतिग्रस्त होने के कारण सप्लाई बाधित हो जाती है।
ऐसे में जलसखी योजना न केवल इन समस्याओं का समाधान करेगी, बल्कि इसके माध्यम से महिलाएं तकनीकी कौशल भी हासिल करेंगी और आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बनेंगी।
News : प्रशिक्षण और नियुक्ति की प्रक्रिया
धामी सरकार द्वारा घोषित इस योजना के तहत हर ब्लॉक में करीब 25 से 30 महिलाओं को चुना जाएगा, जिन्हें सरकार और संबंधित विभागों की ओर से विशेष प्रशिक्षण दिया जाएगा। प्रशिक्षण में शामिल होंगे:
- जल परीक्षण किट का प्रयोग
- पाइपलाइन लीक की पहचान
- स्रोत से उपभोक्ता तक पानी की गुणवत्ता की निगरानी
- पानी बचाने के उपायों की जानकारी देना
- ग्रामीणों को स्वच्छ जल के प्रति जागरूक करना
प्रशिक्षण पूरा होने के बाद ये महिलाएं जलसखी के रूप में नियुक्त की जाएंगी और उन्हें प्रतिमाह तय मानदेय मिलेगा। इसके अलावा, अतिरिक्त कार्य जैसे पाइपलाइन मरम्मत, जल परीक्षण आदि पर प्रोत्साहन राशि भी दी जाएगी।
News : लखपति दीदी योजना का विस्तार
इससे पहले धामी सरकार ने ‘लखपति दीदी’ योजना की शुरुआत की थी, जिसमें स्वयं सहायता समूहों से जुड़ी महिलाओं को स्वरोजगार और उद्यमिता से जोड़कर हर वर्ष एक लाख रुपये से अधिक की आमदनी देने का लक्ष्य रखा गया था। जलसखी योजना को उसी की अगली कड़ी के रूप में देखा जा रहा है।
सरकार का उद्देश्य है कि जलसखी योजना से जुड़ने वाली महिलाएं लखपति दीदी मॉडल को भी अपनाएं और जल प्रबंधन के क्षेत्र में खुद का व्यवसाय विकसित करें—जैसे कि जल परीक्षण किट बेचना, वॉटर प्यूरीफायर की सर्विसिंग आदि।
News : सरकार की मंशा
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने योजना के शुभारंभ के दौरान कहा, “हमारा लक्ष्य केवल महिलाओं को रोजगार देना नहीं है, बल्कि उन्हें नेतृत्व की भूमिका में लाना है। जलसखी योजना से महिलाएं जल जीवन मिशन की रीढ़ बनेंगी। जो महिलाएं कभी सिर्फ पानी भरने की जिम्मेदारी उठाती थीं, अब वे पानी के प्रबंधन और गुणवत्ता की संरक्षक बनेंगी।”
उन्होंने यह भी बताया कि जलसखी योजना को जल्द ही राज्य के सभी 13 जिलों में लागू किया जाएगा।
News : ग्रामीण महिलाओं में उत्साह
जलसखी योजना की घोषणा होते ही राज्य के गांवों में इसे लेकर उत्साह की लहर दौड़ गई है। खासकर स्वयं सहायता समूहों से जुड़ी महिलाएं इसे नई उम्मीद के रूप में देख रही हैं।
पिथौरागढ़ की एक महिला सरिता देवी बताती हैं, “अब तक हम सिर्फ पानी ढोते थे, लेकिन अब सरकार हमें पानी को जांचने, पाइपलाइन देखने जैसे कामों से जोड़ रही है। इससे आत्मसम्मान भी बढ़ेगा और आमदनी भी।”
News : पानी और महिलाओं का परंपरागत रिश्ता
भारतीय समाज में जल और महिलाओं का रिश्ता सदियों पुराना है। खासकर पहाड़ी इलाकों में महिलाओं की दिनचर्या का बड़ा हिस्सा पानी ढोने, संग्रहण और उपयोग से जुड़ा होता है। ऐसे में उन्हें तकनीकी जानकारी देकर जल प्रबंधन का हिस्सा बनाना सामाजिक और आर्थिक दोनों दृष्टियों से सकारात्मक पहल मानी जा रही है।
जलसखी योजना उत्तराखंड सरकार की एक दूरदर्शी पहल है, जो ग्रामीण महिलाओं को आत्मनिर्भरता की राह पर ले जाने के साथ-साथ राज्य के जल संसाधनों के सतत विकास में भी उनकी भागीदारी सुनिश्चित करती है। यह योजना न केवल रोजगार का साधन बनेगी, बल्कि सामाजिक बदलाव का कारण भी बनेगी। अब देखना यह है कि इस योजना को किस हद तक प्रभावी ढंग से ज़मीन पर उतारा जाता है और कितनी महिलाएं इससे जुड़कर वास्तव में लाभान्वित होती हैं।