चमोली (उत्तराखंड), 18 सितंबर 2025 – चमोली ज़िले में 17 सितंबर की रात बादल फटने और भूस्खलन की भीषण घटना ने पूरे घाट क्षेत्र को हिला दिया। इस आपदा में कई घर मलबे में दब गए। नंदानगर तहसील के निवासी कुंवर सिंह 16 घंटे तक मलबे में दबे रहे, लेकिन अद्भुत संयोग और रेस्क्यू टीम की तत्परता से उनकी जान बच गई। दुर्भाग्य से उनकी पत्नी और जुड़वा बेटों की मौके पर ही मौत हो गई।
रोशनदान से मिली जिंदगी की सांसें
भूस्खलन के समय पूरा परिवार गहरी नींद में था। भारी मलबा गिरने से मकान ढह गया और कुंवर सिंह का आधा शरीर मलबे में दब गया। इस बीच कमरे के रोशनदान से आती हवा उनकी साँसों का सहारा बनी रही। गुरुवार शाम लगभग 6 बजे, SDRF और पुलिस की टीम को हल्की आवाज सुनाई दी। इसके बाद मलबा हटाकर उन्हें जिंदा बाहर निकाला गया और अस्पताल पहुँचाया गया।
परिवार का दर्दनाक अंत
इस हादसे में उनकी पत्नी कांती देवी और 10 वर्षीय जुड़वा बेटे विकास और विशाल की मौत हो गई। दोनों बच्चे सरस्वती शिशु मंदिर विद्यालय में कक्षा पाँचवीं में पढ़ते थे। यह घटना न सिर्फ एक परिवार, बल्कि पूरे गाँव के लिए गहरा सदमा बन गई।
रेस्क्यू में ग्रामीणों और टीम की भूमिका
ग्रामीणों ने रात में ही प्रशासन को सूचना दी। सुबह से SDRF और स्थानीय पुलिस ने राहत-बचाव कार्य शुरू किया। ग्रामीणों के सहयोग और रेस्क्यू टीम की सतर्कता ने कुंवर सिंह की जान बचाई।
मुआवज़े और पुनर्वास की माँग
अब स्थानीय लोग और परिजन राज्य सरकार से सवाल पूछ रहे हैं कि क्या पीड़ित परिवार को पर्याप्त आर्थिक और मानसिक सहायता मिल पाएगी। कुंवर सिंह, जिन्होंने मेहनत से अपना छोटा सा घर बनाया था, अब परिवार को खो चुके हैं। सरकार से उम्मीद की जा रही है कि उन्हें उचित मुआवज़ा और पुनर्वास की सुविधा प्रदान की जाएगी।
जलवायु परिवर्तन और बढ़ती आपदाएँ
उत्तराखंड में हाल के वर्षों में बादल फटना, भूस्खलन और ग्लेशियर टूटने जैसी घटनाएँ लगातार बढ़ रही हैं। विशेषज्ञ मानते हैं कि यह जलवायु परिवर्तन और अनियोजित विकास का परिणाम है। सरकार और प्रशासन के सामने सबसे बड़ी चुनौती है – सतत विकास और पर्यावरण संतुलन को प्राथमिकता देकर ऐसी त्रासदियों को कम करना।
