Pauri Suicide Case : उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल जिले में तलसारी गांव के एक युवक की आत्महत्या ने राज्य में हलचल मचा दी है। यह सिर्फ एक दर्दनाक घटना नहीं है, बल्कि इसने सत्ताधारी पार्टी और कानून व्यवस्था पर कई गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।
इस मामले में जमीन के सौदे में उत्पीड़न और सत्ता के दुरुपयोग के आरोप सामने आए हैं, जिसने पूरे प्रदेश को झकझोर कर रख दिया है।
यह मामला 32 वर्षीय जितेंद्र सिंह रावत से जुड़ा है, जिन्होंने गुरुवार को अपने घर पर खुद को गोली मार ली। उनकी आत्महत्या से पहले एक वीडियो सामने आया है, जिसमें उन्होंने कुछ लोगों पर उन्हें परेशान करने और आत्महत्या के लिए उकसाने का आरोप लगाया है।
वीडियो में उन्होंने भाजपा युवा मोर्चा के प्रदेश महामंत्री हिमांशु चमोली का नाम भी लिया है। इस गंभीर आरोप के बाद से राजनीतिक गलियारों में हंगामा मचा हुआ है।
Pauri Suicide Case : कांग्रेस ने उठाए तीखे सवाल
इस घटना के बाद उत्तराखंड कांग्रेस के अध्यक्ष करण माहरा ने भाजपा सरकार और पुलिस प्रशासन पर तीखे हमले किए हैं। उन्होंने कहा कि मृतक ने अपनी आत्महत्या से पहले स्पष्ट रूप से एक भाजपा नेता का नाम लिया है। ऐसे में यह सवाल उठना स्वाभाविक है कि क्या जितेंद्र सिंह के परिवार को न्याय मिल पाएगा?
माहरा ने इस बात पर भी जोर दिया कि हिमांशु चमोली जेपी नड्डा, कैलाश विजयवर्गीय, दुष्यंत गौतम और मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी जैसे भाजपा के बड़े नेताओं के करीबी हैं। उन्होंने संदेह जताया कि इन प्रभावशाली लोगों से संबंध होने के कारण इस मामले में निष्पक्ष जांच की संभावना कम है।
माहरा ने सोशल मीडिया पर भी अपनी नाराजगी जाहिर की। उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा ने उत्तराखंड में लोकतंत्र को खोखला कर दिया है। उन्होंने कहा कि पंचायत चुनाव से लेकर हाल की घटनाओं तक, राज्य में कानून-व्यवस्था पर लगातार सवाल उठ रहे हैं।
उन्होंने सीधे-सीधे पुलिस को संबोधित करते हुए एक सवाल किया, “क्या उत्तराखंड पुलिस सच में जितेंद्र सिंह के परिवार को न्याय दिलाएगी, या वह भाजपा नेताओं की ढाल बनी रहेगी?” यह सवाल राज्य में व्याप्त राजनीतिक दबाव और प्रशासनिक स्वतंत्रता पर सीधा प्रहार है।
Pauri Suicide Case : भाजपा की त्वरित कार्रवाई: सिर्फ एक दिखावा?
घटना सामने आने के बाद, भाजपा पर बढ़ते दबाव को देखते हुए, भाजपा युवा मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष शशांक रावत ने तत्काल कार्रवाई की। उन्होंने एक पत्र जारी कर हिमांशु चमोली को उनके पद से हटा दिया। यह कदम भाजपा की ओर से मामले की गंभीरता को स्वीकार करने और जनता के आक्रोश को शांत करने का प्रयास माना जा रहा है।
हालांकि, कांग्रेस ने इस कार्रवाई को दबाव कम करने का एक दिखावा बताया है। कांग्रेस का कहना है कि सिर्फ पद से हटाने से न्याय नहीं मिलेगा। जब तक इस मामले की निष्पक्ष जांच नहीं होती और दोषियों को कड़ी सजा नहीं मिलती, तब तक इसे न्याय नहीं माना जा सकता। विपक्ष का आरोप है कि भाजपा अक्सर ऐसे मामलों में ऊपरी तौर पर कार्रवाई कर जनता की आंखों में धूल झोंकने की कोशिश करती है।
Pauri Suicide Case : कानून और न्याय की परीक्षा
तलसारी गांव की यह घटना उत्तराखंड की राजनीतिक शुचिता और प्रशासनिक जवाबदेही की परीक्षा है। वीडियो में लगाए गए आरोप इतने गंभीर हैं कि इनकी अनदेखी नहीं की जा सकती। यह मामला सिर्फ एक व्यक्ति की आत्महत्या का नहीं है, बल्कि यह राज्य में कानून के शासन और शक्तिशाली लोगों के प्रभाव के बीच के संघर्ष को भी दिखाता है।
अब सबकी निगाहें पुलिस जांच पर टिकी हैं। यह देखना होगा कि क्या पुलिस बिना किसी राजनीतिक दबाव के जांच कर पाती है और दोषियों के खिलाफ सबूत जुटाकर उन्हें कानून के कटघरे में खड़ा कर पाती है। यदि ऐसा नहीं होता, तो यह घटना उत्तराखंड के आम नागरिक के मन में यह धारणा और मजबूत कर देगी कि न्याय केवल शक्तिशाली लोगों के लिए है, आम आदमी के लिए नहीं।
इस मामले का निष्पक्ष समाधान ही कानून में जनता के विश्वास को बहाल कर सकता है। जितेंद्र सिंह रावत के परिवार को न्याय तभी मिलेगा जब उनके आरोपों को गंभीरता से लिया जाए और दोषियों को उनके पद और राजनीतिक संबंधों की परवाह किए बिना दंडित किया जाए। यह घटना एक वेक-अप कॉल है, जो उत्तराखंड की कानून-व्यवस्था और राजनीतिक नैतिकता पर एक गंभीर बहस शुरू करती है।